
यूपी के सभी स्कूलों में होगी आरोग्य वाटिका
उत्तर प्रदेश में, औषधीय पौधों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए अब हर शैक्षणिक संस्थान में एक आरोग्य वाटिका है। एक उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने संवाददाताओं से कहा कि हमारे देश में सभी घर औषधीय गुणों वाले पौधों का उपयोग करते हैं। कुछ ने तो इन पौधों की पूजा भी की है।
कई लोग इन सदियों पुराने रीति-रिवाजों और उनके उपयोग को भूल गए हैं। कोविड के जवाब में, लोगों ने फिर से उनके महत्व को समझा और उन्हें अपने दैनिक जीवन में उपयोग करना शुरू कर दिया। हर स्कूल में आरोग्य वाटिका पहल शुरू की जानी चाहिए ताकि छात्र भी इसे समझें।

आरोग्य वाटिका एक विशेष स्वास्थ्य केंद्र है जहां औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों को शहर के विभिन्न हिस्सों में शहर के विभिन्न पार्कों में लगाया जाएगा ताकि पौधों और जड़ी-बूटियों से मिलने वाले कई स्वास्थ्य लाभों से अवगत कराया जा सके।
सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर (CISH) के वैज्ञानिक, आर.ए. राम ने कहा कि जनता अपने खुद के पौधे टैरेस गार्डन और किचन गार्डन में लगा सकती है। कचरे को कम्पोस्ट में बदला जा सकता है।
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स (सीआईएमएपी) के वैज्ञानिक राजेश वर्मा का सुझाव है कि बुखार से पीड़ित मरीजों को ‘कलमेघ’ (हरी चिरेट्टा) का सेवन करना चाहिए।
सर्पगंधा (भारतीय स्नैकरूट) एक आसानी से विकसित होने वाली जड़ी-बूटी है और इसकी खेती अल्सर या साइटिका से पीड़ित लोग घर पर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि औषधीय पौधों के सेवन से मधुमेह और मोटापे को नियंत्रित करने में भी लाभ होता है।